The brief history and success story of micromax mobile brand in hindi (माइक्रोमैक्स मोबाइल ब्रांड का इतिहास और सफलता की कहानी)


                   


स्वागत है दोस्तों आप लोगों  का फिर से ब्रांड की कहानी वेबसाइट पर, हम आज आपको उस ब्रांड की कहानी  के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने शुरुआत में तो सॉफ्टवेयर बेचने का काम किया पर आज बहुत सारे दिग्गज मोबाइल बनाने वाली कंपनी को पीछे छोड़कर मोबाइल बेचने के क्षेत्र में बहुत आगे तक पहुंच गई है उस कंपनी का नाम हे दोस्तों माइक्रोमैक्स। 
तो चलिए दोस्तों जानते हैं की कैसे लोगों की समस्या का समाधान करते करते आज यह कंपनी इतनी  बड़ी कंपनी बन चुकी है।
वैसे  कंपनी की स्थापना तो चार दोस्तों राहुल शर्मा ,राजेश अग्रवाल ,विकाश जैन ,सुमित अरोड़ा  ने मिलकर की पर  इस कंपनी को आगे बढ़ाने में जिस शख़्स का महत्वपूर्ण योगदान है , यानी कि  मॉइक्रोमैक्स ब्रांड की कहानी का जो मुख्य नायक हुआ है  वह है राहुल शर्मा। तो चलिए पहले जान लेते हैं राहुल शर्मा जी के बारे में।

  राहुल शर्मा जी  का जीवन परिचय

 

 राहुल शर्मा का जन्म 5 जनवरी 1979  को  हुआ ,उनके पिता जी के एक साधारण से स्कूल में शिक्षक थे,
अगर उनके के शिक्षा की बात की जाए तो उन्होंने मेकेनिकल इंजीनियर के बाद  कॉमर्स  से ग्रेजुएशन भी किया ,अपनी पढाई पूरी करने के बाद  उन्होंने कई कंपनियों के लिए काम  भी किया जैसे में प्रॉक्टर एंड गैम्बल ,माइक्रोसोफ्ट एक्सबॉक्स ,शॉ  कम्युनिकेशन,शॉ कम्युनिकेशन में तो उन्हें वाईस प्रेसिडेंट के तौर पर भी नियुक्त किया गया, पर इनको पहचान मिली माइक्रोमैक्स मोबाइल से ,आईटी क्षेत्र में इनके काम को देखते हुए इन्हें कई तरह के अवार्ड मिले जैसे की फार्च्यून के द्वारा जारी किये गए एक लिस्ट के अनुसार इन्हें दुनिया के  टॉप 40 युवा एंटरप्रेन्योर में भी शामिल किया गया ,डाटा क्वेस्ट ने इन्हें 2016 में आईटी पर्सन ऑफ़ the ईयर चुना वहीँ 2016 में मुंबई में हुए एक इवेंट में इन्हें एंटरप्रेन्योर ऑफ़ the ईयर भी चुना गया ,मैकेनिकल इंजीनियरिंग और फिर कॉमर्स से ग्रेजुएशन और फिर आईटी क्षेत्र में इतना आगे बढ़ना ये कैसे हुआ ,एक इंटरव्यू में उन्होनें बताया की जब 1990 में उन्हें पापा के दवरा जिन्हें वे अपना आदर्श मानते हैं ने उन्हें एक कंप्यूटर दिया तब से उन्हें इसके प्रति बहुत ही ज्यादा रूचि पैदा हो गई और अपने भूत को छोड़कर भविष्य के बारे में सोचा और सोचा क्यों न इसी क्षेत्र में आगे बढ़ा जाए और फिर जो हुआ वो तो इतिहास ही बन गया । 
बिज़नेस जगत में तो इनके नाम के चर्चे होते ही रहते हैं  पर जब 2016   में बॉलीवुड के नामी अभिनेत्री में से एक असिन के साथ इनकी शादी हुई थी उस समय बॉलीवुड के साथ साथ पूरे भारत में भी इनका नाम खूब चर्चा में रहा था। ये तो थी  इस कहानी के नायक राहुल शर्मा के बारे में कुछ बात अब चलिए विस्तार से जानते हैं की कैसे एक छोटी सी कंपनी इतनी बड़ी कंपनी बन गई।
माइक्रोमैक्स मोबाइल ब्रांड की कहानी 

जैसा की मैंने आपको बताया की राहुल शर्मा कई कंपनियों के लिए काम कर चुके थे और कर रहे थे ,पर 2000 में उन्होनें सोचा क्यों न अपनी एक कंपनी बनाई जाए फिर क्या था अपने चार दोस्तों के साथ मिलकर इन्होनें एक कंपनी बना डाली और उस्का नाम रखा माइक्रोमैक्स  इन्फार्मेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड , शुरुआत में तो इस  कंपनी  के द्वारा पीसीओ बेचने का काम , कंप्यूटर सॉफ्टवेयर बनाने का ,कंप्यूटर को बेचने का और कंप्यूटर से सम्बंधित और भी कई तरह के काम किया जाता था  पर माइक्रोमैक्स कंपनी तो  तब माइक्रोमैक्स कंपनी   इसका  नाम तब सब के जुबान पर आया  जब यह मोबाइल के क्षेत्र में अपना कदम रखी ये सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी मोबाइल के कारोबार में कैसे आ गई इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है जैसा की मैं आपको ऊपर बताया की यह पीसीओ फ़ोन बेचने का भी काम करते थे ,तो उसी पीसीओ फ़ोन के सिलसिले में एक बार वे पश्चिम बंगाल के बहरामपुर जिला में गए ,पर वहां जाने के बाद उन्होनें देखा की वहां बिजली की बहुत समस्या है जिसके कारण वहां के  पीसीओ वाले  ट्रक के बैटरी से अपना पीसीओ चलाते थे और उसे चार्ज करने के लिए रात में अपने घर से दूर शहर ले जाकर उसे चार्ज करते थे और जैसे ही फिर वह सुबह सुबह उस बैटरी को लाकर अपना पीसीओ स्टार्ट करते वहां पर लोगों की लम्बी लाइन लग जाती ,बस इसी को देखकर उनके दिमाग में आईडिया आया क्यों न मैं इनकी समस्याओं को सुलझाऊँ क्यों न एक ऐसा बैटरी को  लेकर मोबाइल बनाऊँ जिसकी बैटरी कई दिनों तक चले क्योंकी शहर में तो बिजली ठीक ठाक रहती थी तो वहां तो इतना  समस्या नहीं हो रही थी जितना की गाँव में हो रही थी , फिर क्या था इसी के बारे में वे सोचते हुए अपने दोस्तों से मिले और फिर दोस्तों के दवरा हाँ  कहने पर वे इस पर काम करने लगे और फिर 2008 में माइक्रोमैक्स का पहला मोबाइल बाजार में आ गया और आते ही मानों जैसे की मोबाइल इंडस्ट्री में तहलका सा मच गया हो वैसा होने लगा ,इस मोबाइल में जो ख़ास बात थी वो ये थी इसकी बैटरी बैकअप 30 दिनों तक की थी ,और बस इसी खासियत के कारन पहले स्लॉट में कंपनी के द्वारा  जो 10000 मोबाइल बनाये गए थे वो  देखते ही देखते 10 दिनों के अंदर में बिक गए,और सबसे मजेदार बात तो ये थी की ज्यादातर जो ग्राहक थे वे ग्रामीण क्षेत्र से थे और इससे भी मजेदार बात ये थी  की इस मोबाइल को बेचने के लिए कुछ खास विज्ञापन का भी प्रयोग नहीं किया गया था ,उसके बाद तो समझो कंपनी चल पड़ी दिन प्रतिदिन तरह तरह के के प्रयोग होते रहे मोबाइल के साथ इसी सोच के साथ की कैसे लोगों की समस्याओं को सबसे पहले और जल्दी से जल्दी समाधान कर सकें इन्हीं प्रयोगों का नतीजा था की इस कंपनी के द्वारा सबसे पहले ड्यूल सिम स्मार्ट फ़ोन ,यूनिवर्सल रिमोट कंट्रोल फ़ोन ,अफोर्डेबल स्मार्टफोन आदि लांच किये गए।
जहाँ 2008 में अपना पहला मोबाइल  लांच करने के बाद कंपनी चल पड़ी थी वहीँ 2012 में जब कंपनी के द्वारा कैनवास सीरीज का मोबाइल लांच किया गया तो मानों कंपनी दौड़ पड़ी हो, 2011-12  में जहाँ कंपनी लगभग 1500 करोड़ की थी वहीँ 2012 -13 में कंपनी 3000 करोड़ की ऊपर की हो गई। इस सब  मोबाइल की ख़ास बात ये थी की ये वो सारे फीचर उस कीमत  में दे रही थी जो फीचर उस समय की नामी कंपनियां उससे चौगुने कीमत  में दे रही थी ,और यही कारण रहा की माइक्रोमैक्स के मोबाइल की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री हुई ,और साथ ही साथ हम यह भी कह सकते हैं की यही कारण रहा की उस समय के सभी नामी कंपनियों को भी अपने -अपने मोबाइल फ़ोन के दाम काम करने पड़े।
अगर आज की बात करें तो यह दुनिया  के दसवीं सबसे बड़ी मोबाइल फ़ोन निर्माता कंपनी बन चुकी है और इसका विस्तार सार्क देशों के साथ साथ रूस तक भी पहुँच गया है ,माइक्रोमैक्स के द्वारा अच्छे और सस्ते मोबाइल फ़ोन तो बनाये ही जाते हैं  वहीँ साथ ही साथ साउंड सिस्टम ,पॉवरबैंक,एलईडी टीवी ,एयर कंडीशनर्स ,लैपटॉप और टेबलेट भी बनाये जाते हैं
कंपनी की प्रचार के लिए जहाँ ट्विंकल खन्ना और अक्षय कुमार जैसे बड़े सितारों को प्रयोग किया गया वहीँ अपनी ग्लोबली पहचान बनाने के लिए हॉलीवुड के बड़े अभिनेताओं में से एक हयुग जैकमैन को भी विज्ञापन करने के लिए प्रयोग किया गया 
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